Bhoot ki kahani
सच सच बताना कि उस घर में कभी तुमने किसी के चलने या फिर पायल बजने की आवाज सुनी थी । तब तो हमें पक्का यकीन हो गया । कि उस घर में कुछ तो था । और मैंने फिर से अपने परिवार को बताया । तब उन लोगों ने हमारी बातों पर यकीन लिया।
बरामदे में पड़ी खाट अचानक जमीन से ऊपर हो जाना।
जब उन्होंने जंगल में प्रवेश किया तो देखा, सूरज की रोशनी पेड़ के घने पत्तो से संघर्ष करते हुए जमीन पर गिर रही थी। जंगल एकदम शांत था। उनको डर भी बहोत लग रहा था, लेकिन उनकी उत्तेजना ने उन्हें आगे बढ़ाया। कभी-कभार उल्लू की आवाज को छोड़कर जंगल में सन्नाटा था।
मेरे मन मैं अब एक ही बात चल रही थी की वो औरत कौन थी? क्या वो मेरी बाइक से गिर गई या फिर वो मेरे बाइक से उतर कर चली गई थी ?
चुड़ैल की कहानी और पंडित जी यह एक अंधेरी और तूफानी रात थी. बारिश ज़ोरों से हो रही थी और हवाएं तेज़ चल रही थीं. […]
मैं उसे टालते हुए अपने घर की ओर निकल पड़ा। दूसरे दिन फिर वही लड़की मुझे उसी जगह पर दिखाई दी और वह मुझे फिर से घूरने लगी फिर भी मैंने उसकी तरफ पलट के नहीं देखा और अपने घर की ओर निकल पड़ा।
बच्चों को डर के मारे कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन फिरभी बे हिम्मत नहीं हारे और सब एकसाथ मिलकर बाहर निकलनेका रास्ता ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते एक बच्चे को एक पुरानी किताब मिला, जो की एक जादुई किताब था। और उस किताब में एक जादुई मंत्र लिखा था जिसके उच्चारण करने से वह भुत घर से दूर भाग सकती थी।
और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो होगा।
उसके सामने बैठकर ताश खेलना चालू कर दिया । थोड़ी देर बाद गर्मी लगने लगी । तो हमने सारी खिड़कियां खोल दी तो अच्छी हवा आने लगी । और हम लोग ताश खेलने में व्यस्त हो गए। तभी हमारे तीसरे मित्र ने बोला कि हमारे पास बीड़ी और माचिस भी है।
बोलो तो बीड़ी सुलगाए हम लोगों ने बोला क्यों नहीं । तो हमारे मित्र ने चार बीड़ी जलाई । सब ने एक – एक बीड़ी अपने हाथ में ले ली। तभी एक मित्र ने बोला अरे मुझे भी तो पिलाओ हमने हंसकर बोला।
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प्रसाद की लाश जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसे कोई बचाने और वह मरना नहीं चाहता था। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसने अपनी पूरी जान लगा दी। उस स्टेशन से बाहर निकलने में और घबराता हुआ रमेश उस स्टेशन से भाग गया। कुछ दिनों बाद एक नया गार्ड स्टेशन पर ड्यूटी करने आया।
और बोला कि यहां पर जो आवाज आप लोगो ने सुनी थी। वह भूल जाना वरना आप लोग पूरी जिंदगी रोते रहोगे। इतने में ड्राइवर भी आ गया और हम लोग दौड़कर बस में बैठ गए ।
रमेश छलावे का नाम सुनकर बुरी तरह से कांप उठा। वह जल्दी से स्टेशन से भागने लगा। प्रसाद ने उसे समझाया कि ऐसे भागने से कोई फायदा नहीं है। बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं अपनी आंखें मली। उसे फिर भी वह आदमी धुंधला ही दिखाई दे रहा था।